तेरी सासों में क़ैद, मेरे लम्हे


वो लम्हे
तेरी सांसों में क़ैद
जो मेरे थे
सिर्फ मेरे,
जिनमें नहीं थी
मसरूफियत ज़माने की
रोज़ी-रोटी कमाने की
और
जिसमें नहीं थी
कोई रस्म दिखावे की,
कहां गुम गए
सभी, एकदम से
एकसाथ..
क्या सच है
बुज़ुर्गो की वो बात
जो कहते हैं
कुछ मिल जाने के बाद
उसकी चाह
होने लगती है ख़त्म,
या फिर
ये एक वहम ही है
जैसा
हमेशा कहते हो तुम
लेकिन फिर भी,
मैं अक्सर
दिन के किसी उदास पल में
उन लम्हों को
याद करती हूं
जो मेरे थे
सिर्फ मेरे
तुम्हारी सांसों में क़ैद
मेरे लम्हें..!




9 टिप्पणियाँ:

क्या सच है
बुज़ुर्गो की वो बात
जो कहते हैं
कुछ मिल जाने के बाद
उसकी चाह
होने लगती है ख़त्म,

बुजुर्ग कहते तो अनुभव से ही हैं .... सुंदर एहसास

 

मन के भावो को शब्द दे दिए आपने......

 

मैं अक्सर
दिन के किसी उदास पल में
उन लम्हों को
याद करती हूं
जो मेरे थे
सिर्फ मेरे
तुम्हारी सांसों में क़ैद
मेरे लम्हें..!

BEAUTIFUL EXPRESSION OF EMOTIONS

 

खूबसूरत रचना .....बधाई

 

उम्दा लेखनी, सुन्दर भाव, बेहतरीन रचना।
मधुरेश

 

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